अर्ध चंद्रासन प्राणायाम करने की प्रक्रिया क्या है?

योग के प्रमुख आसन और उनके लाभ

योग के प्रमुख आसन

अर्ध का अर्थ आधा और चंद्रासन अर्थात चंद्र के समान किया गया आसन। इस आसन को करते वक्त शरीर की स्थिति अर्ध चंद्र के समान हो जाती है, इसीलिए इसे अर्ध चंद्रासन कहते है। इस आसन की स्थि‍ति त्रिकोण समान भी बनती है इससे इसे त्रिकोणासन भी कह सकते है, क्योंकि दोनों के करने में कोई खास अंतर नहीं होता।

अर्ध चंद्रासन प्राणायाम करने की विधि

 चरण 1:-इस योग आसन की शुरुआत ताड़ासन या पर्वत मुद्रा में सीधे खड़े होकर करें। अपने पैरों को एक दूसरे से अलग करते हुए उन्हें बाहरी किनारों के समानांतर स्थिति में रखें।

 चरण 2:-गहराई से श्वास लें और अपनी दोनों बाँहों को फर्श के समानांतर बाहर की दिशा में फैलाएँ। अब अपने बाएँ पैर को अंदर की ओर और अपने दाहिने पैर को दाहिने कोण में बाहर की दिशा में मोड़ें। इसे देखें कि आपका दाहिना पैर और घुटने एक सीध में हैं और आपकी एड़ी का अगला भाग आपकी पीठ के केंद्र के साथ सीधा है।

चरण 3:-धीरे से अपने बाएं हाथ को अपने बाएं नितंब पर रखें। गहरी सांस लें और अपने दाहिने हाथ की उँगलियों को मोड़ते हुए अपने दाहिने हाथ की उंगलियों तक पहुँचते हुए अपने पैर के अंगूठे के सामने की दिशा में लगभग नौ से दस इंच तक झुकें।

चरण 4:-श्वास लें और अपने दाहिने पैर को सीधा करते हुए अपने दाहिने पैर को फर्श पर दबाएं। अब अपने दाहिने पैर को संतुलित करते हुए दाएं पैर को उठाएं।

चरण 5 :-बाएं पैर की उंगलियों को फैलाएं और अपने बाएं नितंब और पसली-पिंजरे को आकाश की दिशा में घुमाएं।

चरण 6 :-आपके दाहिने हाथ की उंगलियों को आपके कंधे के नीचे रखा जाना चाहिए, जब आप अपने बाएं हाथ को अपने बाएं कंधे के ऊपर बढ़ाते हैं।

चरण 7 :-साँस लेते समय, खड़े होने वाले पैर को दबाएं।

चरण 8 :-आराम करने के लिए वापस आने के लिए, अपने दाहिने पैर को त्रिभुज मुद्रा में आते हुए, अपने बाएँ पैर को चटाई पर रखें। गहराई से श्वास लें और खड़े होते हुए अपने पैरों को दबाएं। अपने हाथों को अपने कूल्हों पर रखें, अपने दाहिने पैर को सीधा करें और पैरों को समानांतर रखते हुए पैर को अंदर की ओर मोड़ें। अब अपने बाएँ पैर को बाहर की ओर मोड़ें और उसी चरणों को दोबारा दोहराएं।

अर्ध चंद्रसन के लाभ

  • यह योग आसन शरीर के संतुलन को बेहतर बनाने में मदद करता है और जागरूकता बढ़ाता है। व्यक्ति अपने शरीर के प्रति जागरूक हो जाता है।
  • यह हैमस्ट्रिंग, जांघ और टखनों को मजबूत करता है।
  • कमर दर्द से छुटकारा पाने में मदद करते हुए जांघों को मजबूत रखता है।
  • यह आसन नितंबों, रीढ़ और पेट की मांसपेशियों को मजबूत करता है।
  • इस आसन की मदद से पाचन की प्रक्रिया काफी हद तक सुधर जाती है।
  • इस आसन के नियमित अभ्यास से संतुलन और समन्वय काफी हद तक सुधर जाता है।

अर्ध का अर्थ आधा और चंद्रासन अर्थात चंद्र के समान किया गया आसन। इस आसन को करते वक्त शरीर की स्थिति अर्ध चंद्र के समान हो जाती है, इसीलिए इसे अर्ध चंद्रासन कहते है। इस आसन की स्थि‍ति त्रिकोण समान भी बनती है इससे इसे त्रिकोणासन भी कह सकते है, क्योंकि दोनों के करने में कोई खास अंतर नहीं होता। यह आसन खड़े होकर किया जाता है।विधि : सर्वप्रथम दोनों पैरों की एड़ी-पंजों को मिलाकर खड़े हो जाएँ। दोनों हाथ कमर से सटे हुए गर्दन सीधी और नजरें सामने।फिर दोनों पैरों को लगभग एक से डेढ़ फिट दूर रखें।

मेरुदंड सीधा रखें। इसके बाद दाएँ हाथ को उपर उठाते हुए कंधे के समानांतर लाएँ फिर हथेली को आसमान की ओर करें। फिर उक्त हाथ को और उपर उठाते कान से सटा देंगे। इस दौरान ध्यान रहे की बायाँ हाथ आपकी कमर से ही सटा रहे।फिर दाएँ हाथ को उपर सीधा कान और सिर से सटा हुआ रखते हुए ही कमर से बाईं ओर झुकते जाएँ। इस दौरान आपका बायाँ हाथ स्वत: ही नीचे खसकता जायेगा। ध्यान रहे कि बाएँ हाथ की हथेली को बाएँ पैर से अलग न हटने पाए।जहाँ तक हो सके बाईं ओर झुके फिर इस अर्ध चंद्र की स्थिति में 30-40 सेकंड तक रहें।

वापस आने के लिए धीरे-धीरे पुन: सीधे खड़े हो जाएँ। फिर कान और सिर से सटे हुए हाथ को पुन: कंधे के समानांतर ले आएँ। फिर हथेली को भूमि की ओर करते हुए उक्त हाथ को कमर से सटा लें।यह दाएँ हाथ से बाईं ओर झुककर किया गए अर्ध चंद्रासन की पहली आवृत्ति हैं अब इसी आसन को बाएँ हाथ से दाईं ओर झुकते हुए करें तत्पश्चात पुन: विश्राम की अवस्था में आ जाएँ। उक्त आसन को 4 से 5 बार करने से लाभ होगा।

यह आसन कटि प्रदेश को लचीला बनाकर पार्श्व भाग की चर्बी को कम करता है। पृष्ठांश की माँसपेशियों पर बल पड़ने से उनका स्वास्थ्य सुधरता है। छाती का विकास करता है।

अर्ध चंद्रासन| अर्ध का अर्थ आधा और चंद्रासन अर्थात चंद्र के समान किया गया आसन। इस आसन को करते वक्त शरीर की स्थिति अर्ध चंद्र के समान हो जाती है, इसीलिए इसे अर्ध चंद्रासन कहते है। यह आसन पूरे शरीर को लचीला बनाता है।

कोणासन|कोणासन करने में जितना आसान है, शरीर के लिए उतना ही लाभकारक भी है।

अर्ध चंद्रासन

कोणासन
जालंधर|योग आपके स्ट्रेस को दूर करते हुए, आपका फोकस बढ़ाता है। योग का बहुत महत्व है। इसीलिए हर साल 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। श्री महालक्ष्मी मंदिर जेल रोड में भारत विकास परिषद और स्त्री सत्संग सभा की ओर से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से पहले प्री सेशन करवाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विवेक शर्मा ने की। योग शिविर की शुरूआत महिलाओं ने गायत्री मंत्र से की। योग टीचर कमल वधवा ने विभिन्न योगासन करवाए। योग एक ऐसा माध्यम है जोकि आत्मा का परमात्मा से मेल करना। मनुष्य को प्रतिदिन सुबह योग करते रहना चाहिए क्योंकि योग करने से शरीर को किसी भी प्रकार से रोग नहीं लगते। योग कई बीमारियों का इलाज है, इस बात की पुष्टि मेडिकल साइंस भी चुकी है। विभिन्न योगासन के फायदे इस तरह है।

पद्मासन या कमल आसन| बैठ कर की जाने वाली योग मुद्रा है। इसमें घुटने विपरीत दिशा में रहते हैं। इस मुद्रा को करने से मन शांत व ध्यान गहरा होता हैं। कई शारीरिक विकारों से आराम भी मिलता है। इस मुद्रा के नियमित अभ्यास से साधक कमल की तरह पूर्ण रूप से खिल उठता है, इसलिए इस मुद्रा का नाम पद्मासन है।

चक्रासन|यह आसन रीढ़ की लोच को विकसित करता है और स्वस्थता की भावना को बढ़ाता है। यह आसन पीठ, बाजू और टांगों की मांसपेशियों को मजबूत करता है। यह शरीर को सुडौल बनाता है और उन लोगों के लिए लाभकारी है जो बहुत ज्यादा बैठते हैं।

इंटरनेशनल योग डे
चक्रासन

पद्मासन

सुक्षम क्रिया | स्वास्थ्य की रक्षा में सूक्ष्म योग व्यायाम क्रियाओं का बड़ा महत्व है | ये शरीर की मलिनता दूर कर, संबंधित अवयवों को स्फूर्ति प्रदान करती हैं | सभी लोग सूक्ष्म योग क्रियाएं कर सकते हैं। स्वास्थ्य की रक्षा में सूक्ष्म योग व्यायाम क्रियाओं का बड़ा महत्व है | ये शरीर की मलिनता दूर कर, संबंधित अवयवों को स्फूर्ति प्रदान करती हैं | सभी लोग सूक्ष्म योग क्रियाएं कर सकते हैं

रिड्यूस स्ट्रेस, रीगेन फोकस
सुनीता

सुक्षम

क्रिया
वज्रासन|घुटनों को मोड़ने के बाद पैरों पर बैठकर किया जाने वाला आसन है। यह संस्कृत के शब्द ‘वज्र’ से बना है, जिसका अर्थ है आकाश में गरजने वाली बिजली। इसे डायमंड पोज भी कहते हैं। इस योगासन में बैठकर प्राणायाम, कपालभाति व अनुलोम-विलोम किया जा सकता है।

मुक्ता

वज्रासन
मुक्ता

शवासन | शव एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है- मृत शरीर। इस आसन को यह नाम इसलिए मिला है क्योंकि इसमें एक मृत शरीर के समान आकार लिया जाता है। शवासन विश्राम करने के लिए है और अधिकांश पूरे योगासन क्रम के पश्चात किया जाता है। एक पूरा योग का क्रम क्रियाशीलता के साथ आरम्भ होता है और विश्राम में समाप्त होता है। यह वह स्थिति है जब आपके शरीर को पूर्ण विश्राम मिलता है।

भुजंगासन संस्कृत शब्द नाग का अर्थ है सर्प या भुजंग। इस आसन में शरीर की आकृति फन उठाए हुए नाग के समान हो जाती है, इसीलिए इसको नाग आसन, भुजंगासन या सर्पासन कहा जाता है। इस आसन से पेट की चर्बी घटती है तथा रीढ़ की हड्डी सशक्त बनती है। दमा, पुरानी खांसी अथवा फेफड़ों संबंधी अन्य कोई रोग हो तो इस आसन से लाभ मिलता है।

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