बच्चों में मानसिक तनाव के कारण और लक्षण क्या है ?

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बच्चो  में  मानसिक  तनाव  के कारण

पढ़ाई तनाव

बच्चों में ज्यादा तनाव का कारण आज  कल  की  पढ़ाई है। जिसमें बच्चे समय पर अपना पाठ्यक्रम पूरा नहीं कर पाते हैं। नम्बर  कम आना, होमवर्क पूरा नही होना। पाठ्क्रम से पीछे रहने पर माता-पिता, स्कूल में टीचर एंव अभिभावकों से डांट पड़ना एक तरह से बच्चों में मानसिक तनाव है।
बच्चों पर माता पिता, अध्यापक का हमेशा अधिक से अधिक नम्बर लाने और  कक्षा में नंबर १ रहने को कहने की बजह  बच्चों को मासिक रूप से कमजोर करता है। जिससे बच्चों का काॅफिडेंस लेवल काफी कम होने लगता है। बच्चों पर पढ़ाई का अधिक बोझ नहीं डालें। बच्चों को प्यार से पढ़ायें और समझाए।

खेल-कूद एक्टिविटी नहीं होना

ट्यूशन, होमवर्क, पाठ्यक्रम को पूरा करने में बच्चे बहुत ज्यादा व्यस्त रहते हैं। जिसके कारण बच्चों को खेलकूद करने के लिए वक्त नहीं मिल पाता। बचे हुये थोड़े से वक्त में बच्चे मोबाइल, टैब, कम्प्यूटर में व्यस्थ रहते हैं। ये सारी चीजे बच्चों  में मानसिक और शरीरिक विकास को रोकती है। जिसके कारण बच्चे धीरे-धीरे मानसिक तनाव का शिकार हो जाते  हैं। बच्चों के लिए पढ़ाई के साथ-साथ शरीरिक खूलकूद  भी  जरुरी  है

असफल होने का डर

बच्चों के मन में हमेशा पढ़ाई में पीछे रहने का डर बना रहता है। जैसे कि नंबर कम आने का डर, भविष्य को सफल बनाने का डर, विभिन्न तरह की एग्जाम में पीछे रहने का डर, और असफल होने पर माता-पिता का मानसिक दबाव में रहने का डर। बच्चो को असफल होने पर उन्हें बुरी तरह से डांटे नहीं। उन्हें प्यार से समझायें। आने वाले अगले एग्जाम के लिए बच्चों का काॅफिडेंस लेवल बढ़ायें।

बच्चा मानसिक रूप से स्वस्थ है या नहीं इसका पता कैसे लगाएं?

हमें मानसिक तनाव के लक्षणों को ध्यान में रखते हुए उनसे रूबरू होना चाहिए और उनके तनाव को कम करने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। बच्चों में डिप्रेशन के संकेत वयस्कों की तुलना कुछ अलग हो सकते हैं। तो आइए जानें कि आप इन्हें कैसे पहचान सकते हैं:

  • बिना कारण रोना
  • गुमसुम रहना
  • खाना ढंग से न खाना/ भूख न लगना
  • घबराहट और चिंता
  • चिड़चिड़ापन
  • जिद
  • सिरदर्द
  • गुस्सा
  • नोंचना या काटना
  • आत्मविश्वास में कमी
  • माता पिता से हर समय चिपके रहना या चिढ़ कर उनसे दूर भागना
  • किसी भी अजनबी से मिलने में संकोच करना
  • डर-डर कर रहना
  • थकान महसूस करना
  • नींद में डर के अचानक उठ जाना
  • असामयिक सोने का रूटीन
  • मोबाइल न मिलने पर चिल्लाना या रोना

बच्चो  में  मानसिक  तनाव  के  लक्षण

  • बच्चों में बात बात पर चिड़चिड़ापन होना।
  • बिना किसी कारण दुखी रहना।
  • मायूस और गुमसुम रहना।
  • हर बात पर गुस्सा करना।
  • व्यवहार में बदलाव ।
  • खाने-पीने की आदतो में बदलाव होना ।
  • पढ़ाई और खेलकूद में मन नहीं लगना।
  • हर बक्त नकारात्मक सोच रहना।
  • स्कूल से शिकायतें आना।
  • आपस में गुसे वाला व्यवहार करना।
  • गुस्से में आंखें और कान लाल रहना।
  • अकेलापन को पंसद करना।

लक्षण दिखने पर क्या करें?

अगर आपको बच्चे में इसी तरह के कई नकारात्मक लक्षण देखने को मिलते हैं, तो समझ जाएं कि बच्चा तनाव से जूझ रहा है। बच्चे को डांटे या मारें नहीं, और न ही ताने मारकर बात करें। सबसे पहले बच्चे को प्यार से गले लगाएं और उसे महसूस करवाएं कि वह आपके पास बिल्कुल सुरक्षित है। उसके बाद बच्चे को पूरी तरह से खुल कर अपनी बात रखने का मौका दें और किसी भी कदम पर या किसी और के सामने उसकी आलोचना न करें। आप इसके लिए मनोचिकित्सक की मदद भी ले सकते हैं।

कैसे करें माता-पिता अपने बच्चे की मदद?

  • अपने बच्चे को समझने की कोशिश करें. बच्चे को विश्वास दिलाएं की आप उसके साथ हैं.
  • एंग्जायटी से उबरने में समय लगता है. धैर्य रखें और अपने बच्चे को धीरे-धीरे प्रगति करने में मदद करें.
  • बच्चे से उनकी चिंता के बारे में खुलकर बात करें. उन्हें बताएं कि वे सुरक्षित हैं और आप उनकी मदद करने के लिए मौजूद हैं.
  • यह जानने की कोशिश करें कि आपके बच्चे को क्या चिंता है. उनकी चिंताओं के बारे में जानने से आप उन्हें बेहतर ढंग से समझने और उनका सामना करने में मदद करने में सक्षम होंगे.
  • अपने बच्चे के लिए घर पर एक सुरक्षित और शांत वातावरण बनाएं.
  • बच्चे को पर्याप्त नींद, हेल्दी खाना और रोजाना एक्सरसाइज करने के लिए प्रोत्साहित करें.
  • अगर आपके बच्चे की चिंता गंभीर है या उसकी लाइफस्टाइल में परेशानी पैदा कर रही है, तो डॉक्टर या मनोवैज्ञानिक से मदद लेना जरूरी है.

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