भुजंगासन प्राणायाम करने की प्रक्रिया क्या है?

आसन

आसन प्राणायाम

आसन का शाब्दिक अर्थ है- संस्कृत शब्दकोष के अनुसार आसनम् (नपुं.)[आस्+ल्युट]1.बैठना,2.बैठने का आधार, 3.बैठने की विशेष प्रक्रिया 4.बैठ जाना इत्यादि। यम,नियम,आसन,प्राणायाम,प्रत्याहार,धारणा ध्यान समाधि]में इस क्रिया का स्थान तृतीय है जबकि गोरक्षनाथादि द्वारा प्रवर्तित षडंगयोग (छः अंगों वाला योग) में आसन का स्थान प्रथम है। चित्त की स्थिरता, शरीर एवं उसके अंगों की दृढ़ता और कायिक सुख के लिए इस क्रिया का विधान मिलता है। विभिन्न ग्रन्थों में आसन के लक्षण ये दिए गए हैं- उच्च स्वास्थ्य की प्राप्ति, शरीर के अंगों की दृढ़ता, प्राणायामादि उत्तरवर्ती साधनक्रमों में सहायता, चित्तस्थिरता, शारीरिक एवं मानसिक सुख दायी आदि। पंतजलि ने मनकी स्थिरता और सुख को लक्षणों के रूप में माना है। प्रयत्नशैथिल्य और परमात्मा में मन लगाने से इसकी सिद्धि बतलाई गई है। इसके सिद्ध होने पर द्वंद्वों का प्रभाव शरीर पर नहीं पड़ता। किन्तु पतंजलि ने आसन के भेदों का उल्लेख नहीं किया। उनके व्याख्याताओं ने अनेक भेदों का उल्लेख (जैसे-पद्मासन, भद्रासन आदि) किया है। इन आसनों का वर्णन लगभग सभी भारतीय साधनात्मक साहित्य में मिलता है।

पतञ्जलि के योगसूत्र के अनुसार,

स्थिरसुखमासनम्
(अर्थ : सुखपूर्वक स्थिरता से बैठने का नाम आसन है। या, जो स्थिर भी हो और सुखदायक अर्थात आरामदायक भी हो, वह आसन है। )
इस प्रकार हम निष्कर्ष रूप में कह सकते हैं कि आसन वह जो आसानी से किए जा सकें तथा हमारे जीवन शैली में विशेष लाभदायक प्रभाव डाले।

भुजंगासन एक संस्कृत शब्द है, इसका विच्छेद करने पर दो अर्थ निकाल कर आते हैं इनमें भुजंग का अर्थ होता है सर्प और आसन का अर्थ होता है मुद्रा। इसको अंग्रेजी में कोब्रा पोज भी कहा जाता है। जैसा के शब्द से इसका अर्थ प्रकट होता है, भुजंंग आसन का शाब्दिक अर्थ है, सर्प के फन के समान मुद्रा। यह आसन सूर्य नमस्कार के 12 मुद्राओं में से 8वां आसन है।

भुजंगासन प्राणायाम करने की विधि

 चरण 1:-पेट के बल लेट जाएं। अपने हाथों को बगल में रखें और सुनिश्चित करें कि आपके पैर एक-दूसरे को स्पर्श करें।
चरण 2:-फिर, अपने हाथों को सामने की ओर ले जाएं, सुनिश्चित करें कि वे कंधे के स्तर पर हैं, और अपनी हथेलियों को फर्श पर रखें।
चरण 3:-अब, अपने शरीर का भार अपनी हथेलियों पर रखें,श्वास लें और अपने सिर और धड़ को ऊपर उठाएँ। ध्यान दें कि इस अवस्था में आपकी भुजाएँ आपकी कोहनी पर झुकनी चाहिए।
चरण 4:-आपको उठाए गए हुड के साथ कोबरा को दोहराने के प्रयास में अपनी गर्दन को पीछे की ओर झुकाना होगा। लेकिन सुनिश्चित करें कि आपके कंधे ब्लेड दृढ़ हैं, और आपके कंधे आपके कानों से दूर हैं।
चरण 5:-अपने कूल्हों, जांघों और पैरों को फर्श से दबाएँ।
चरण 6:-सामान्य रूप से सांस लेते हुए आसन को लगभग 15 से 30 सेकंड तक रोकें। अपने पेट को फर्श के खिलाफ दबाकर महसूस करें। अभ्यास के साथ, आपको आसन को दो मिनट तक करने में सक्षम होना चाहिए।
चरण 7:-मुद्रा को जारी करने के लिए, धीरे-धीरे अपने हाथों को पक्षों पर वापस लाएं। अपने माथे को फर्श के संपर्क में लाकर जमीन पर अपना सिर टिकाएं। अपने हाथों को अपने सिर के नीचे रखें। फिर, धीरे-धीरे अपने सिर को एक तरफ आराम दें और सांस लें।

भुजंगासन प्राणायाम करने  के लाभ

  • इस प्रभावी भुजंग आसन से कंधे, सीने, पीठ और पेट की मांसपेशियों में जो खिंचाव पैदा होता है, उससे शरीर को और अधिक लचीलापन एवं मजबूती मिलती है। साथ हीं सांस की बीमारियां दूर रहती हैं और फेफड़े भी स्वस्थ रहते हैं।
  • इसके अलावा इससे स्पाइन यानी रीढ की हड्डी में दर्द, कमर अकड़ जाना और शरीर के अन्य जोड़ों से जुड़ी समस्या दूर हो जाती है।
  • इससे हमारा पाचन तंत्र और गुर्दे भी स्वस्थ रहते हैं। साथ ही पेट के निचले हिस्से के सभी अंग दुरुस्त रहते हैं।
  • भुजंगासन से पेट की चर्बी कम करने में सहायता मिलती है, जिससे यह टमी को फ्लैट बनाने में उपयोगी होता है।
  • यह योग स्ट्रेस को कम करने, मानसिक तनाव और शारीरिक थकान को दूर करने में भी बहुत उपयोगी है।
  • भुजंग आसन के ओवरऑल इंपैक्ट से हमारे शरीर का ब्लड सर्कुलेशन भी नॉर्मल हो जाता है। फेफड़े और हृदय के बीच का मार्ग सुगम होता है, जिससे नस एवं ह्रदय संबंधी समस्या कभी उत्पन्न नहीं होती।
  • इस आसन के प्रभाव से महिलाओं के मासिक नियम से जुड़ी अनियमितता भी दूर होती है।
  • भुजंगासन के लाभ

    1. सर्पासन बेडौल कमर को पतली तथा सुडौल व आकर्षक बनाता है।
    2. यह आसन सीना चौड़ा करता है, और इसे रोज़ाना करने से लंबाई बढती है।
    3. सर्पासन मोटापे को कम करता है।
    4. सर्पासन करने से शरीर की थकावट भी दूर हो जाती है।
    5. इस आसन को करने से शरीर सुंदर तथा कान्तिमय बनता है।
    6. इस आसन से पेट संबंधी कई गंभीर बीमारियों से भी राहत मिलती है।
    7. महिलाओं में मासिक धर्म की अनियमितता, मासिक धर्म का कष्ट के साथ आने के लिए फायदेमंद होता है।
    8. यह आसन कमर, रीढ़ को पतला तथा लचीला और छाती को चौड़ा करता है।
    9. यह आसन आपके मसल्स के लिए काफी फायदेमंद है।

    10. रक्त संचार को तेज करता है।

    11. कब्ज़, अपच और वायु विकार दूर होते हैं भूख बढ़ती है।

    12. शरीर में शक्ति और स्फूर्ति को संचार करता है।

    13. स्त्री गर्भाशय को पुष्ट करता है।

    14. इस आसन से रीढ़ की हड्डी सशक्त होती है। और पीठ में लचीलापन आता है।

    15. यह आसन फेफड़ों की शुद्धि के लिए भी बहुत अच्छा है और जिन लोगों का गला खराब रहने की, दमे की, पुरानी खाँसी अथवा फेंफड़ों संबंधी अन्य कोई बीमारी हो, उनको यह आसन करना चाहिए।

    16. इस आसन से पित्ताशय की क्रियाशीलता बढ़ती है और पाचन-प्रणाली की कोमल पेशियाँ मजबूत बनती है।

    17. इससे पेट की चर्बी घटाने में भी मदद मिलती है और आयु बढ़ने के कारण से पेट के नीचे के हिस्से की पेशियों को ढीला होने से रोकने में सहायता मिलती है।

    18. इससे बाजुओं में शक्ति मिलती है। पीठ में स्थित इड़ा और पिंगला नाडि़यों पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। विशेषकर, मस्तिष्क से निकलने वाले ज्ञानतंतु बलवान बनते है।

    19. पीठ की हड्डियों में रहने वाली तमाम खराबियाँ दूर होती है।

    20. कब्ज दूर होता है। तथा बवाशीर मे भी लाभ देता है।

    21. कमर दर्द को दूर करने में रामबाण है भुजंगासन| स्लिप डिस्क को ठीक करने में भी सहायक है|

    22. रीढ़ में कड़ापन दूर करता है| इस प्रकार मस्तिष्क और शरीर के बीच बेहतर समन्वय बना रहता है| मस्तिष्क से आने वाली तरंगे शरीर के हर अंग में बिना रुकावट के पहुँचती हैं|

    23. रीढ़, कमर और पीठ की माँसपेशियों में खिंचाव आने से मस्तिष्क और शरीर में रक्त का संचार भी अच्छे ढंग से होने लगता है|

    24. यह आसन स्त्रियों की सुन्दरता को बढ़ाता है।

    25. आँतों में चिपके हुए मल स्वयमेव बाहर निकल जाते हैं ।

    26. माइग्रेन का दर्द कम करता है सर्पासन

    An easier variant is Sphinx Pose, sometimes called Salamba Bhujangasana (षलम्ब भुजङ्गासन), in which the forearms rest on the ground, giving a gentler backbend. It is used in the long holds of Yin Yoga, either with the forearms on the ground or with the arms straightened.

    Advanced practitioners may fold the legs into Padmasana (lotus).

    The pose can be modified, for instance, in pregnancy, by placing a blanket under the pelvis.

    The pose may be entered from a prone position or from Downward Dog. The palms are placed under the shoulders, pushing down until the hips lift slightly. The backs of the feet rest on the ground, the legs outstretched; the gaze is directed forwards, giving the preparatory pose. For the full pose, the back is arched until the arms are straight, and the gaze is directed straight upwards or a little backward. The legs remain on the ground, unlike in the similar Upward Dog pose.

    Bhujangasana is part of the sequence of yoga postures in some forms of Surya Namaskar, the Salute to the Sun.

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