मधुमेह रोगियों के लिए बादाम के क्या फायदे है?
मधुमेह रोगियों के लिए बादाम के क्या फायदे है?
एक बार मधुमेह होने पर जिंदगीभर के लिए वह रोगी के लिए बोझ बन जाती है. इस बीमारी से ग्रसित लोगों को अपने खान-पान का खासा ध्यान रखने की जरूरत होती है. बादाम को मधुमेह के लिए सुपरफूड्स माना जाता है. ऐसे में मधुमेह के मरीजों को ऐसी डाइट लेनी चाहिए जो ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद करे. वहीं ऐसे खाद्य पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए जो आपके शरीर में रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ा सकते हैं. शरीर में ब्लड शुगर सही होने पर मधुमेह रोगियों को सामान्य जीवन जीने में मदद मिलती है. मधुमेह रोगियों के लिए भोजन क्या होना चाहिए. कुछ चीजें ऐसी हैं जो आपके शरीर में ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखते हैं और आपकी मधुमेह को भी कंट्रोल करने में मददगार हो सकते हैं.बादाम सभी खाद्य पदार्थों में सबसे पोष्टिक माना जाता है जो मधुमेह मरीजों के लिए काफी कारगर साबित होता है. बादाम में कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं जो शरीर में ब्लड शुगर लेवल को बढ़ने से रोकता है और साथ ही मधुमेह से प्रभावी ठंग से लड़ने में मदद कर सकता है
बादाम खाने के फायदे
मधुमेह को कंट्रोल करने में
बादाम सेहत के लिए पाए जाने वाले सभी नट्स में से पोष्टिक है और इसमें कई पोषक तत्व पाए जाते हैं और इसके अलावा ये कैलोरी से भी भरपूर होता है. मधुमेह कंट्रोल करने के लिए बादाम एक अच्छा खाद्य पदार्थ है. बादाम में मैग्नीशियम पाए जाते हैं जो की सेहत के लिए काफी फायदेमंद है और साथ ही ये मधुमेह के मरीजों में ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करता है. अगर बादाम का अच्छी मात्रा में लंबे समय तक सेवन किया जाए तो ब्लड शुगर को कंट्रोल किया जा सकता है. इसके अलावा बादाम दिल के रोगों से निजाद दिलाने में भी मददगार हो सकता है.
ग्लूकोस लेवल कम करने में
बादाम शरीर में ग्लूकोज के लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है और साथ ही मधुमेह के रोगियों को हृदय के रोगों से बचा सकता है. बादाम में विटामिन ई और मैग्नीशियम पाए जाते हैं जो हड्डियों को मजबूत करने, और शरीर में सुचारू ठंग से खून के फ्लो में मदद कर सकते हैं. इसके साथ ही यह मांसपेशियों को भी मजबूत बनाता है. वहीं मधुमेह रोगियों को कार्बोहाइड्रेट से भरपूर खाने का सेवन करना चाहिए. कार्बोहाइड्रेट शरीर में ग्लूकोज के लेवल को कम करता है.
ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के लिए कैसे करें बादाम का सेवन
मधुमेह के रोगियों को नमक वाले या भूने हुए बादाम का सेवन नहीं करना चाहिए. उन्होने यह भी कहा कि मधुमेह के रोगियों को कच्चे बादाम का सेवन करना चाहिए. इसका सेवन सुबह या शाम के नाश्ते के रूप में करना चाहिए. बादाम में अधिक मात्रा में कैलोरी होती है इसलिए यदि आप अपने आहार में इसका सेवन करते हैं तो आपको वजन बढ़ाने से बचने के लिए अपने दूसरे आहारों में कैलोरी को कम करना होगा. यदि एक मधुमेह रोगी सामान्य कैलोरी का सेवन कर रहे हैं, तो बादाम के सेवन से कुल कैलोरी की मात्रा अधिक हो जाएगी. इसलिए ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने के लिए बादाम के सेवन से पहले अन्य कैलोरी को कंट्रोल करना जरूरी है.
बादाम हालांकि एक मेवा होता है, किन्तु तकनीकी दृष्टि से यह बादाम के पेड़ के फल का बीज होता है। बादाम का पेड़ एक मध्यम आकार का पेड़ होता है और जिसमें गुलाबी और सफेद रंग के सुगंधित फूल लगते हैं। ये पेड़ पर्वतीय क्षेत्रों में अधिक मात्रा में पाये जाते हैं। इसके तने मोटे होते हैं। इसके पत्ते लम्बे, चौड़े और मुलायम होते हैं। इसके फल के अन्दर की मिंगी को बादाम कहते हैं। बादाम के पेड़ एशिया में ईरान, ईराक, मक्का, मदीना, मस्कट, शीराज आदि स्थानों में अधिक मात्रा में पाये जाते हैं। इसके फल वानस्पतिक रूप से अष्ठिफल के रूप में जाने जाते हैं और उनमें एक बाह्य छिलका होता है तथा एक कठोर छाल के साथ अंदर एक बीज होता है। आमतौर पर बादाम बिना छिलके के ही मिलता है। इसका बीज निकालने के लिए छिलके को अलग करना होता है। छिले हुए बादाम गेरुए या गहरे पीले रंग के होते हैं। बादाम दो प्रकार के होते हैं- मीठे और कड़वे। मीठा बादाम वह किस्म है जिसे लोग एक खाद्य उत्पाद के रूप में सीधे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से खाते हैं। कड़वा बादाम मीठे बादाम से थोडा़ छोटा व चौडा़ होता है और मुख्य रूप से बादाम तेल निकालने के काम आता है तथा इसे खाद्य के रूप में उपयोग नहीं किया जाता है क्योंकि यह कुछ विषैला होता है।[1] बादाम के उपयोग की तीन मुख्य वैश्विक श्रेणियां हैं, चॉकलेट कॉन्फेक्शनरी, बेकरी और अल्पाहार।
बादाम का पेड़ भी आड़ू की तरह ही दिखता है और उसे भी आडू की समकूल परस्थिति में उगाया जाता है। बादाम आड़ू परिवार का ही फल है। बादाम का उल्लेख प्राचीन बाईबिल और प्राचीन यूनान के इतिहास में भी मिलता है। यूनानी इतिहास के अनुसार ३००० ईसा पूर्व भी वहां इसकी पैदावार होती थी। उसके १०० वर्ष बाद प्राचीन रोमवासी इसे अपने साथ इटली ले गए। इसे उन्होंने अपने राजा को उपहार स्वरूप दिया। उसके बाद यह मिस्र से होता हुआ इंग्लैंड पहुंचा। स्पेन और इटली पहले ऐसे देशों में शामिल हैं जहां इसके लिये विपरीत जलवायु होने पर भी सबसे पहले बादाम निर्यातक देशों में गिने गये। इससे पहले बादाम के बारे में विश्व के लोग नहीं जानते थे। १७०० मध्यपूर्व से आज तक इसके उत्पादन में खूब बढोत्तरी हुई है और अनेक प्रतिकूल स्थानों पर भी यह आसानी से उगाया जा रहा है। सन १८०० के बाद बादाम की विभिन्न किस्मे भी खोजी गई हैं और उनमे कैलिफोर्निया से निर्यात होने वाली बादाम की किस्में सर्वश्रेष्ठ मानी जाती हैं।
एशिया के भारत और जापान जैसे देशों में बादाम खूब उगाया जाता रहा है। भारत में इसकी उपयोगिता केवल भोजन के साथ ही बेहतर मानी जाती है लेकिन जापान में इसे चॉकलेट और दूध से बनने वाले विभिन्न उत्पतादों में कैल्शियम के सबसे मजबूत विकल्प के रूप में प्रयोग किया जाता है। चीन में इसे सर्दियों में भूनकर खाया जाता है और नव वर्ष के अवसर पर यह उनका विशेष उपहार माना जाता है। यूरोप में इसे विवाह के अवसर पर ऐतिहासिक काल से प्रयोग किया जा रहा है और बच्चों के लिए इसे ख़ुशी और स्वास्थ्य का प्रतीक माना जाता है। जर्मनी में बादाम का पेस्ट नाश्ते में प्रयोग किया जाता रहा है और इसे आइसक्रीम के बेकरी उत्पादों में प्रयोग किया जाता है। २०१० जनवरी में फ्रांस में बनने वाला पारम्परिक राजा का केक बादाम की विशेष क्रीम से बनाया गया था। इसे सोने के मुकुट के साथ बाजार में बेचा गया।
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