योगासन वजन कम करने के लिए

हमारी प्राचीन संस्कृति में कई लाभदायक योगासन बताए गए हैं जिसके नित्य प्रयोग से शरीर स्वस्थ और आकर्षक बन सकता है और इन योग क्रियाओं से शरीर का वज़न भी कम किया जा सकता है। संतुलित आहार और योगासन की मदद से आप अपना जीवन एक नयी ऊर्जा से भर सकते हैं।

कपालभारती प्राणायाम

कपालभारती  प्राणायाम करने  का  तरीका

इस योगासन को करने के लिए स्वच्छ, शांत और खुले वातावरण वाली जगह को चुने । फिर एक चटाई जैसा आसन लगा कर सामान्य मुद्रा में बैठ जाएँ। बैठे बैठे ही अपने दाएँ पैर को बायी जंघा के ऊपर और बाए पैर को दायी जंघा के नीचे लगा लें। यह आसन जमाने के बाद, साँसों को बाहर छोड़ना होता है, और पेट को अंदर की और धकेलना होता है। इस क्रिया को सुबह के समय पाँच मिनट करना चाहिए।

पेट की चरबी घटाने के लिए यह एक रामबाण उपाय है। इस आसन को करने से शरीर का वज़न कम होता है। इस गुणकारी आसन के प्रभाव से मोटापा घटाने में तो मदद मिलती ही है पर, उसके साथ साथ चहेरे की सुंदरता में भी निखार आता है। अगर किसी को आँखों के नीचे कालापन हो जाने की शिकायत रहती हो तो उन्हे कपालभाती आसन रोज़ करना चाहिए। पेट की तकलीफ़ों से पीड़ित व्यक्ति भी कपालभाती कर के पेट के रोगों से मुक्ति पा सकते हैं। कब्ज ,पेट दर्द, खट्टी डकार, एसिडिटी और अन्य प्रकार की पेट की बीमारियाँ कपालभाती करने से खत्म हो जाती हैं। कपालभाती करने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और यादाश्त भी बढ़ती जाती है। कपालभाती गले से जुड़े हर रोग को नष्ट कर देता है।

 कपालभारती

अनुलोम विलोम प्राणायाम

अनुलोम विलोम प्राणायाम करने  का तरीका

किसी अच्छी जगह का चुन  कर के आसन जमा लें। सामान्य मुद्रा में बैठ कर अपने पैर क्रॉस कर के मौड़ लें (पालथी लगा लें / जैसे खाना खाने ज़मीन पर बैठ ते हैं वैसे)। अब अपने दाए हाथ को दाए घुटने पर आराम से टीका दें, और बाए हाथ के अंगूठे से नाक का बाया छिद्र बाधित करें, और दाए छिद्र से गहरी साँस अंदर लें। फिर बाया छिद्र मुक्त करें और दाया छिद्र बाधित करें और अंदर ली हुई साँस बाए छिद्र से बाहर निकालें। इस प्रक्रिया को कम से कम दस से पंद्रह बार दोहराएँ।

अनुलोम विलोम प्राणायाम करने के  लाभ

इस प्राणायाम को नाड़ी शोधन आसन भी कहा जाता है। अनुलोम विलोम शरीर में रक्त संचालन दुरुस्त रखने में मददगार होता है। मानव शरीर में सब से ज़्यादा चरबी, पेट, कमर और जाँघों के आसपास जमा होती है। इस आसन के प्रभाव से पेट अंदर हो जाता है। पेट की चरबी भी घट जाती है। अनुलोम विलोम से शरीर में फुर्ती महसूस होती है, साथ ही शरीर का अतिरिक्त वज़न भी काबू में आ जाता है।

 

नौकासन योग

नौकासन योग करने  का  तरीका

सबसे पहले आसन जमा लें, ओर आकाश की ओर मुंह कर के पीठ के बल सीधे लेट जाएँ। हाथों को सीधा कमर से सटा कर रखें, और अपनी हथेलियों को ज़मीन की और रखे। अब धीरे धीरे अपनी गरदन ऊपर की और ले जाएँ और अपने हाथ सीधे रख कर ही गर्दन के समान ऊपर उठाएँ और साथ साथ उसी समान अपने पैर भी उठाएँ और एक नौका का रूप लें। इसी मुद्रा में आप करीब पच्चीस से तीस सेकंड बने रहें। फिर धीरे धीरे सामान्य मुद्रा में चले जाएँ। नौकासन को दो से तीन बार दोहराएँ।

नौकासन  के  लाभ

पेट और नाभी के आसपास के भाग को सुडौल बनाने के लिए यह एक गुणकारी आसन है। इस आसन के प्रभाव से हमारी पाचन प्रणाली भी मज़बूत होती है। जब खाना ठीक से पाचन होता है तो शरीर में एक्सट्रा फैट जमा नहीं होता है और वज़न भी काबू में रहेता है। नौकाआसन करने से हमारी शरीर की छोटी आंत और बड़ी आंत को व्यायाम मिलता है। इस आसन को नित्य करने से आंतों से जुड़ी बीमारियाँ होने का खतरा नहीं रहेता है। और अगर किसी को आंतों से जुड़े रोग हैं तो वह व्यक्ति डॉक्टर की सलाह के बाद नित्य, नौकाआसन कर के आंतों के रोगों से मुक्ति पा सकता है।

 

बालासन योग

बालासन योग  करने  का  तरीका

सर्वप्रथम आसन जमा लें, फिर घुटनों को पीछे की ओर मौड़ कर घुटनों के बल बैठ जाएँ। ऐडियों पर शरीर का वज़न बनाते हुए, और साँस अंदर लेते हुए आगे की और झुकें। अब आप के हाथ सीधे होने चाहियेँ और हथेलियाँ ज़मीन की और लगी होनी चाहिए। यह सुनिश्चित करें की आप की छाती आपकी जांघों और घुटनों के अग्र भाग को छुनी चाहिये। साथ ही आप का मस्तक ज़मीन को छूना चाहिये। इस आसन को तीन से पाँच मिनट करें फिर थोड़ा आराम लें और इस आसन को चार से पाँच बार दोहराएँ।

बालासन योग  करने  लाभ

यह आसन तेज़ी से वज़न कम करने के लिए काफी उपयोगी है। पेट, कमर और जांघों की चरबी इस आसन से तुरंत कम होने लगती है। बालासन के नित्य प्रयोग से शरीर की मांसपेशियां मज़बूत होती हैं। अगर पेट की तोंद बाहर निकली हुई है, और नाभी शर्ट के बटन से बाहर जांकने लगी है तो बालासन आप की यह समस्या कुछ ही दिनों में दूर कर देगा। इस आसन को रोज़ दिन में सुबह के समय पाँच से दस मिनट करने से पेट तुरंत अंदर होने लगेगा।

 

योगा साइकिलिंग

योगा साइकिलिंग करने  का  तरीका

आसन बिछा कर पीठ के बल सीधे लेट जाएँ। आप का मुख आकाश की ओर होना चाहिये। अब अपने दोनों पैर ज़मीन से ऊपर उठा लें। जैसे आप सही में साइकल चलाते है ठीक वैसे ही गोल गोल पेडल हवा में चलाने लगें। याद रहे की यह आसन करते समय आप के दोनों हाथ सीधे ज़मीन से लगे होने चाहिये और हथेलियाँ ज़मीन की और होनी चाहिये। थोड़ी देर सीधी साइकलिंग करें, फिर उतनी ही देर तक उल्टी पेडलिंग करते हुए साइकलिंग करें। इस कसरत को सुबह के समय दस से पंद्रह मिनट तक करें। अधिक थकान महसूस होने पर बीच-बीच में समय ले कर सामान्य मुद्रा में लेट कर आराम कर लें।

योगा  साइकिलिंग करने के   लाभ

यह कसरत पैरों की चरबी दूर करती है। योगा साइकलिंग करने से घुटनें मज़बूत होते हैं। और इस कसरत से हमारे पेट की मांसपेशियां काफी मजबूत बनते हैं। योगा साइकलिंग से पेट में गेस की तकलीफ भी दूर होती है, और पेट में जमी चरबी भी कम हो जाती है।

 

सेतुबंध  आसन

सेतुबंध  आसन  करने  का तरीका

सर्वप्रथम आसन जमा कर पीठ के बल लेट जाएँ। मुख को आकाश की और रखे। उसके बाद अपनें दोनों घुटनों को एक साथ मौड़ कर दोनों पैरों के तलवों को ज़मीन पर अच्छे से जमा लें। अपने दोनों हाथ सीधे रख कर ज़मीन पर लगा लें। अब साँस बाहर निकालते हुए रीड़ की हड्डी की ज़मीन की और धीरे से दबाएँ। अब गहरी साँस अंदर भरते हुए अपनें पैरों को ज़मीन पर दबाएँ। अब अपने कमर के भाग को जितना हो सके उतना ऊपर की और उठाएँ। इस अवस्था में करीब एकाद मिनट तक रहें फिर साँस बाहर छोड़ते हुए सामान्य अवस्था में लेट जाएँ।

सेतुबंध  आसन  करने के लाभ

इस आसन से शरीर की रीड की हड्डी मज़बूत होती है और सीधी होती है। कमर के भाग के लिए यह एक उत्तम कसरत है। सेतुबंध आसन मेरुदंड (spine) लचीला बन जाता है। इस आसन से गरदन तनाव मुक्त हो जाती है। शरीर की मांसपेशियाँ मज़बूत करना और पेट की अतिरिक्त चरबी दूर करना इस आसन के प्रमुख गुण हैं।

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