इन्सुलिन क्या है और कैसे काम करता है?

इन्सुलिन क्या है?

पाचन तन्त्र आपके खाने में मौजूद कार्बोहाइड्रेट्स को ग्लूकोज़ में बदल देता है. इंसुलिन, एक ऐसा हॉर्मोन है जो आपके पैंक्रियाज़ (अग्न्याशय) नाम के अंग से उत्पन्न होता है.ये ग्लूकोज़ को अवशोषित और कार्बोहाइड्रेट्स और फ़ैट मेटाबॉलिज़्म  को नियंत्रित करता है.
टाइप 1 डायबिटीज़ में शरीर इंसुलिन बनाना बंद कर देता है, जबकि टाइप 2 डायबिटीज़ में शरीर या तो सही मात्रा में इंसुलिन बनाना बंद कर देता है या फिर सही ढंग से इस्तेमाल करना कम कर देता है.

इन्सुलिन के प्रकार

  • रैपिड-एक्टिंग इंसुलिन इस प्रकार का इंसुलिन मानव शरीर में इंजेक्शन लगाने के लगभग 15 मिनट बाद अपना काम करना शुरू कर देता है। इस प्रकार के इंसुलिन का प्रभाव तीन से चार घंटे तक रह सकता है। इसका उपयोग अक्सर भोजन से पहले किया जाता है।
  • शॉर्ट-एक्टिंग इंसुलिन इस प्रकार के इंसुलिन को भोजन से पहले शरीर में इंजेक्ट करने की आवश्यकता होती है। इसके शरीर में इंजेक्ट होने के 30 से 60 मिनट बाद यह काम करना शुरू कर देता है और पांच से आठ घंटे तक प्रभावी रहता है।
  • इंटरमीडिएट-एक्टिंग इंसुलिन  – इस प्रकार का इंसुलिन इंजेक्शन शरीर में प्रवेश करने के बाद एक से दो घंटे में काम करना शुरू कर देता है, और इसका प्रभाव 14 से 16 घंटे तक रह सकता है।
  • लॉन्ग-एक्टिंग इंसुलिन – यह इंसुलिन इंजेक्शन लगाने के लगभग दो घंटे से अधिक समय के बाद काम करना शुरू कर सकता है। इस प्रकार के इंसुलिन का प्रभाव 24 घंटे या उससे अधिक समय तक रह सकता है।

इन्सुलिन के कार्य

इंसुलिन शरीर में निम्न तरह के कार्यों को करता है,

  • जब मानव का पाचन तंत्र आहार में उपस्थित कार्बोहाइड्रेट को ग्लूकोज में बदल देता है, तब उत्पन्न हुआ ग्लूकोज, छोटी आंत में अस्तर के माध्यम से रक्तप्रवाह में अवशोषित हो जाता है। अतः कोशिकाओं द्वारा ग्लूकोज या रक्त शर्करा को अवशोषित करने और ग्लूकोज से ऊर्जा उत्पादन करने के लिए इंसुलिन जरुरी होता है।
  • इंसुलिन यकृत कोशिकाओं, मांसपेशियों और वसा ऊतकों द्वारा रक्त से ग्लूकोज को ग्रहण कर ग्लाइकोजन में परिवर्तित करने का कारण बनता है, ग्लाइकोजन को यकृत और मांसपेशियों में उर्जा स्त्रोत के रूप में संग्रहित किया जाता है।
  • इंसुलिन, शरीर द्वारा वसा का उपयोग ऊर्जा स्रोत के रूप में करने से रोकता है। इंसुलिन की कमी या अनुपस्थिति में, शरीर की कोशिकाओं द्वारा ग्लूकोज का अवशोषण नहीं किया जाता है, अतः इस स्थिति में शरीर ऊर्जा स्रोत के रूप में वसा का उपयोग करना शुरू कर देता है, जो कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। अतः इन्सुलिन, वसा का उर्जा स्त्रोत के रूप में उपयोग होने से रोकता है।
  • इंसुलिन अन्य शरीर प्रणालियों  को भी नियंत्रित करने का कार्य करता है। यह शरीर की कोशिकाओं द्वारा अमीनो एसिड को नियंत्रित करता है।
  • इंसुलिन रक्त शर्करा के स्तर को बहुत अधिक (हाइपरग्लेसेमिया) या बहुत कम (हाइपोग्लाइसीमिया) होने से रोकता है।
  • यह पूरे शरीर में अनेक उपचय प्रभाव  भी दर्शाता है, इंसुलिन हड्डी के विकास और मांसपेशियों में वृद्धि का कारण बनता है।

इन्सुलिन कैसे  बनता है?

प्राकृतिक रूप से इन्सुलिन का उत्पादन अग्न्याशय  में होता है। इंसुलिन एक प्रकार की प्रोटीन श्रृंखला या पेप्टाइड हार्मोन होता है। इंसुलिन के एक अणु में 51 अमीनो एसिड होते हैं। इंसुलिन का आणविक भार 5808 dalton (1dalton = 1 g/mol) होता है। अग्न्याशय में लैंगरहैंस कोशिकाओं के आइलेट्स  में इंसुलिन का उत्पादन होता है। ये कोशिकाएं लगातार इंसुलिन की थोड़ी मात्रा जारी करती रहती हैं, लेकिन जब रक्त शर्करा के स्तर में वृद्धि होती है तब अग्न्याशय स्त्राव होने वाले इंसुलिन की मात्रा में भी वृद्धि हो जाती है।इंसुलिन की संरचना जानवरों की प्रजातियों के बीच थोड़ी भिन्न होती है। सूअर और गाय दोनों के इंसुलिन, मानव इंसुलिन के समान ही होते हैं। अतीत काल में, गाय और सुअर से इंसुलिन को निकाला जाता था।

इन्सुलिन की  खोज

19वीं शताब्दी के आखिर में कुत्तों पर टेस्ट किए गए और पता चला कि डायबिटीज के रोगियों के पित्त में एक पदार्थ की कमी होती है. पित्त को निकालकर इलाज करने की कोशिश भी हुई. लेकिन पैंक्रियाज को निकालते समय पाचक रस सभी तत्वों को नष्ट कर देते.

1920 के दशक में कनाडा के दो डॉक्टरों फ्रेडरिक बैटिंग और चार्ल्स बेस्ट ने क्रांतिकारी खोज की. उन्होंने इंसुलिन खोजा. ऐसा तत्व जो भोजन से मिलने वाली शुगर को, रक्त के जरिए हमारी कोशिकाओं तक पहुंचाता है. इंसुलिन की मदद से कोशिकाएं शुगर सोखती हैं. शरीर में शुगर के जलने से जीवन के लिए जरूरी ऊर्जा मिलती है. अगर इंसुलिन की कमी हो तो पर्याप्त भोजन के बावजूद कोशिकाएं भूखी रह जाती हैं और शरीर के अंगों को नुकसान पहुंचने लगता है.

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