कपालभाति प्राणायाम करने की प्रक्रिया क्या है?

कपालभाति प्राणायाम की प्रक्रिया श्वास प्रक्रिया से संबंधित है। कपालभाती शब्द दो शब्दों से बना है, कपाल का अर्थ है खोपड़ी (यहां खोपड़ी में खोपड़ी के नीचे भी सभी अंग शामिल हैं) और भाति का अर्थ है चमकना, रोशनी करना।

कपालभाति प्राणायाम आसन करने की विधि

चरण 1: – सबसे पहले आपको पद्मासन में बैठना चाहिए क्योंकि पद्मासन ध्यान मुद्रा के लिए बहुत उपयुक्त आसन है। यह स्वस्तिकासन या वज्रासन करके भी किया जा सकता है।  

चरण 2: – पद्मासन में बैठते हुए धीरे-धीरे सांस लेते रहें।

चरण 3: – श्वास लें और पहले बताए गए कपालभाती का प्रदर्शन शुरू करें। इसका मतलब है कि एक मजबूत रेचका, प्राकृतिक पूर्वाका, और फिर से मजबूत रेचका और प्राकृतिक बेचका।

चरण 4: – इस घुमाव को तेजी से लयबद्ध तरीके से करते रहें।

चरण 5: – अधिक से अधिक चक्रों का प्रदर्शन करें और फिर धीरे-धीरे सांस लेते रहें। ये सभी प्रक्रियाएं कपालभाति के एक चक्र के तहत शामिल हैं।

कपालभाति योग में षट्कर्म (हठ योग) की एक विधि (क्रिया) है। संस्कृत में कपाल का अर्थ होता है माथा या ललाट और भाति का अर्थ है तेज। इस प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से मुख पर आंतरिक प्रभा (चमक) से उत्पन्न तेज रहता है। कपाल भाति बहुत ऊर्जावान उच्च उदर श्वास व्यायाम है।

कपाल अर्थात मस्तिष्क और भाति यानी स्वच्छता। अर्थात ‘कपाल भाति’ वह प्राणायाम है जिससे मस्तिष्क स्वच्छ होता है और इस स्थिति में मस्तिष्क की कार्यप्रणाली सुचारु रूप से संचालित होती है। वैसे इस प्राणायाम के अन्य लाभ भी है। लीवर किडनी गैस आदि के लिए बहुत लाभ कारी है Ido it on an empty stomach only.

विधि

कपाल भाति प्राणायाम करने के लिए रीढ़ को सीधा रखते हुए किसी भी ध्यानात्मक आसन, सुखासन या फिर कुर्सी पर बैठें। इसके बाद तेजी से नाक के दोनों छिद्रों से साँस को यथासंभव बाहर फेंकें। साथ ही पेट को भी यथासंभव अंदर की ओर संकुचित करें। तत्पश्चात तुरन्त नाक के दोनों छिद्रों से साँस को अंदर खीचतें हैं और पेट को यथासम्भव बाहर आने देते है। इस क्रिया को शक्ति व आवश्यकतानुसार 50 बार से धीरे-धीरे बढ़ाते हुए 500 बार तक कर सकते हैे, किन्तु एक क्रम में 50 बार से अधिक न करें। क्रम धीरे-धीरे बढ़ाएं।

कम से कम ५ मिनट एवं अधिकतम ३० मिनट।

लाभ

इस प्राणायाम के नियमित अभ्यास से शरीर की अनावश्यक चर्बी घटती है। हाजमा ठीक रहता है। भविष्य में कफ से संबंधित रोग व साँस के रोग नहीं होते। प्राय: दिन भर सक्रियता बनी रहती है। रात को नींद भी अच्छी आती है। अस्थमा(दमा) का रोग जड़ से नष्ट होते हैं I

सावधानियाँ

  • हृदय रोगों, हाई ब्लड प्रेशर और पेट में गैस आदि शिकायतों में यह प्राणायाम धीरे धीरे करना चाहिये (60 बार एक मिनट में ) है।
  • धूल-धुआं-दुर्गन्ध, बन्द व गर्म वातावरण में यह प्राणायाम न करें।
  • मासिक चक्र के समय और गर्भावस्था के दौरान इसे न करें।
  • बुखार, दस्त, अत्यधिक कमजोरी की स्थिति में इसे न करें।
  • कब्ज़ की स्थिति में यह प्राणायाम न करें। गुनगुने पानी में नींबू डालकर पेट साफ करें और फिर इसके बाद ही इसे करें।
  • बाहर की ओर निकले हुए पेट को शीघ्र घटाने के चक्कर में अनेक लोग दिन में कई बार इस प्राणायाम को करते हैं, जो हानिप्रद है।
  • खाना खाने के बाद 4घंटे तक कपाल भाति प्राणायाम न करें।

किस प्राणायाम को सबसे पहले करे

हर प्राणायाम का अपना एक क्रम होता है. प्राणायाम करते वक़्त क्रम बिलकुल सही होना चाहिए वरना हमको इसका पूर्ण लाभ नहीं मिल पायेगा। इसलिए प्राणायाम हमेशा क्रम से करे.

यहाँ मुख्या 6 प्राणायाम को क्रम के अनुसार बताया गया है जो कुछ इस प्रकार है.

1 ) भस्त्रिका प्राणायाम

2 )कपालभाति प्राणायाम

3 )अनुलोम विलोम प्राणायाम

4 )चंद्र भेदन या सूर्य भेदन प्राणायाम-

(यह प्राणायाम मौसम और शारीरिक इस्थिति के हिसाब से किया जाता है )

5 ) उज्जायी प्राणायाम

6 ) भ्रामरी प्राणायाम

About Author

2 thoughts on “कपालभाति प्राणायाम करने की प्रक्रिया क्या है?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *